Wednesday, April 1, 2009

Black Hole CH-54 गिब्सन कहा गया ? (समाप्त)

शामका समय था. सुरज पश्चिमकी ओर डूबही रहा था. ऐसे समय पार्कमें सुझान और डॅनियल मखमलसे मुलायम हरे लॉनपर लेटे हूए थे और बह रहे ठंडे ठंडे झोंकोंका आनंद ले रहे थे. डॅनियलका सर सुझानकी गोदमें रखा हूवा था. '' मानो ऐसा लग रहा है जैसे सबकुछ कल कल घटीत हूवा है ... समय कैसे बित गया कुछ पताही नही चला. '' डॅनियलने कहा. सुझान उसके बालोंसे अपनी उंगलीयां फेरती हूई उसकी नक्कल उतारती हूई बोली, '' ऐसा होता है ... प्यारमें ऐसा होता है कभी कभी '' '' प्यारमें कभी कभी ... हमें एक पल मानो कितने साल जैसा लगता है ... और कभी कभी कितने साल एक पल जैसे लगते है ... मानो समयका सब परिमान बदल गया हो ... '' फिरसे वह उसकेही कभी बोले हूए वाक्य दोहराते हूए बोली. डॅनियल उसकी तरफ देखते हूए मिठासा मुसकाया. उसे अपने बिवीपर गर्व हो रहा था. उसे कैसे मेरी हर आदत, ... मेरी हर तरहा मालूम है ...इतनाही नही तो मेरे कभी बोले हूए वाक्यभी वह याद रखती है .. सचमुछ... आखिर प्यारका मतलब क्या है?... एकदुसरेको पुरी तरहसे जाननेका नामही प्यार है... एकदुसरेको पुरी तरहसे जाननेके बाद हमें एकदुसरेकी छोटी छोटी बातोंका खयाल रहता है... डॅनियल सोच रहा था. तभी कुछ याद आए जैसा वह एकदम उठकर बैठ गया. '' गिब्सन कहां गया ?'' उसने बगीचेमे इधर उधर देखते हूए सुझानसे पुछा. सुझानभी घबराकर उठकर खडी हो गई. और बगीचेमें इधर उधर जाते हूए गिब्सनको ढूंढने लगी. बगीचेमें एक तरफ डॅनियल तो दुसरी तरफ सुझान गिब्सनको ढूंढ रहे थे. इधर उधर ताकते झांकते हूए सुझान गिब्सनको ढूंढते हूए एक पौधेके पास गई. उसकी ढूंढती हूई नजर एक जगह स्थिर हो गई. उसके चेहरेसे डर, चिंता जाकर अब उसकी जगह खुशी झलकने लगी. '' तूम यहां क्या कर रहे हो बेटे ?'' सुझानने कहा. .उसके सामने उनका 3-4 सालका लडका - गिब्सन मट्टी खेल रहा था. सुझान और डॅनियलने उनके लडकेका नाम सुझानके भाईके यादमें गिब्सनही रखा था. '' मै मेरे दोस्तके साथ खेल रहा हूं '' वह छोटा गिब्सन अपने तोतले बोलसे बोला. '' दोस्त ?... किधर है तुम्हारा दोस्त ?'' सुझानने आसपास ढूंढते हूए पुछा. छोटे गिब्सनने इर्द गिर्द देखा और आवाज लगाई , '' स्टेला ... स्टेला तूम कहां हो ?''एक 3-4 सालकी लडकी - स्टेला एक पौधेके पिछेसे दौडते हूएही उसके पास आ गई. वहभी मट्टी खेल रही थी और उसके छोटे छोटे हाथ मट्टी और किचडसे सने हूए थे.

Thanks to sunil for this wonderfull story.
written by
सुनिल डोईफोडे
समाप्त

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