Wednesday, April 1, 2009

Black Hole CH-42 चेतना

जब जाकोब 'D' लेव्हलकी गुंफामें जमिनपर गिर गया, उसकी आंखे बंद थी. उसके शरीरमें कुछभी हरकत नही थी, लेकिन उसके शरीरमें एक सुक्ष्म स्तरपर कुछ हरकत चल रही थी. उसके शरीरसे एक चेतना बाहर निकलनेके लिए बेताब थी. वह चेतना उसके शरीरसे बाहर निकलनेके लिए जी तोड कोशीश कर रही थी, क्योंकी वह चेतना गिब्सनकी थी और शरीर अलगही था. बहुत प्रयास करनेके बाद, कोई रबड खिंचा जाए ऐसी वह चेतना उस शरीरसे बाहर निकल गई. लेकिन उस चेतनाका बेचैन उगम अबभी उस शरीरमें मौजूद था. वह जाकोबके शरीरसे बाहर निकली हूई चेतना सिधे जाकर स्टेलाके बेडरुममें पहूंच गई. स्टेला बेडरुममें गहरी निंदमें सो रही थी. जैसेही वह चेतना उसके पास पहूंच गई, स्टेला घबराकर जैसे सपनेसे जाग गई हो ऐसे उठ गई. उसी समय उस चेतनाका उगम जो गुंफामें उस शरीरमें बेचैनीसे तडप रहा था, वह उस चेतनाको अपनी ओर खिचने लगा और वह चेतना बेडरुमसे खिडकीके मार्गसे अदृष्य हो गई. जाकोबके शरीरमें जो उस चेतनाका उगम बडी बेचैनीसे तडप रहा था, उसकी वजहसे वह चेतना उस शरीरमें फिरसे खिंच ली गई और हमेशाके लिए उस शरीरमें कैद होकर रह गई, क्योंकी भलेही दिखनेमें वह शरीर अलग हो, उस शरीरका कण कण उस चेतनाका था. उस शरीरके हर कणपर उस चेतनाका हक था. अचानक उस शरीरने - जाकोबने उस गुंफामें पडे हूए अवस्थामें अपनी आंखे खोली ...... 'D4' कुंएके किनारे खडा होकर जाकोब अपनी आपबीती स्टेलाको बता रहा था. स्टेला आश्चर्यसे उसकी कहानी सुनती हूई उसकी तरफ एकटक देख रही थी. जाकोब उस कुंएके बगलमें खडे पत्थरपर तराशे प्रिझमजैसी आकृतीको स्पर्ष करते हूए बोला, '' जैसे तुम्हे पता हैही की ब्लॅकहोल 'A3' में 15 मिनट बाहेरके अंदरके 1 घंटे बराबर होते है ..... यानीकी वहां वक्त अपने वक्तके तुलनामें सामने दौडता है ..'' जाकोब अपना हाथ घडीकी दिशामें घुमाकर दिखाते हूए बोला. उसने उसके टॉर्चकी रोशनी अब दुसरे कुंएके किनारे खडे एक पत्थरपर डाली, जिसपर 'D5' ऐसी खुदे हूए अक्षर दिख रहे थे. '' और इस 'D5' ब्लॅकहोलमें वक्त उलटी दिशामें दौडता है ...'' जाकोब अपना हाथ घडीके उलटी दिशामें घुमाता हूवा बोला. जाकोब फिरसे अपने हाथसे 'D4' कुंएके पास खडे पत्थरपर तराशे प्रिझमको हलकेसे छूकर बोला, '' लेकिन इस 'D4' ब्लॅकहोलमें वक्तका परिमाण पुरी तरह अलग है ... यहां वक्त आगे पिछे ... दोलायमान होता है ...'' जाकोबने अपना हाथ एक बार घडीकी दिशामें और फिर घडीके विरुद्ध दिशामें घुमाते कहा. '' दोलायमान होता है मतलब ?'' स्टेलाने पुछा. '' मतलब वहां वक्त किसी पेंडूलमकी तरह आगे पिछे दौडता है ...'' जाकोबने अपना हाथ पेंडूलमजैसा आगे पिछे करते हूए कहा, स्टेला अबभी जाकोबकी तरफ आश्चर्यसे एकटक देख रही थी. उसकी आश्चर्यसे बडी हूई आंखोमें अब प्रेमका अंशभी दिख रहा था. जाकोब उसकी आंखोमें खोकर उसकी तरफ प्यारसे देखने लगा. वे एकबार फिरसे कसकर अलिंगणमें बद्ध होगए . '' लेकिन इतने दिन तूमने मुझे यह सब क्यों नही बताया ?'' स्टेलाने पुछा. वे अबभी आलिंगनमें बद्ध थे. जाकोब आलिंगणसे बाहर आते हूए बोला, '' अपना पती ... वह भी एक पुरी तरह अलग शरीरमें ... मुझे आशंका थी की तूम इस बातपर यकिन कर पाती या नही ...''उसने उसका हाथ अपने हाथमें लेकर थपथपाया और आगे कहा, '' इसलिए मैने तुम्हे यह सब धीरे धीरे ... इस गुंफामें सब बतानेके बाद, यानीकी तुम्हे यह टाईम, स्पेस और दुसरे विश्वकी थिअरी पुरी तरह समझनेके बाद बतानेका तय किया था '' अब वे हाथमें हाथ लेकर धीरे धीरे उस गुंफामें चलने लगे थे. '' मेरा मुझेही पता है की मै तुम्हारेसिवा यह सब दिन कैसे बिता सकी... तुम्हारे सिवा और फिरभी तुम्हारे साथ..'' स्टेलाने कहा. '' मै तुम्हारी भावनाएं समझ सकता हूं ... फिरभी मुझे कहीं लगही रहा था की तुम सच एक दिन जरुर जानोगी'' जाकोब उसकी आंखोमें देखते हूए बोला. तभी 'धप्प' अचानक एक बडासा पत्थर उनके सामने आकर गिरा. गिरनेके बाद उस पत्थरके टूकडे टूकडे होकर इधर उधर बिखेर गए थे. घबराकर और चौंककर वे एकदमसे दो कदम पिछे हट गए. क्रमश:...

No comments: