Wednesday, April 1, 2009

Black Hole CH-11 टाईम इज मनी ऍन्ड स्पेस इज ऍन ऍसेट

वह हवेली गिब्सनको चैनसे बैठने नही दे रही थी. क्योंकी आज रात फिरसे गिब्सन उस हवेलीमें आया था. हवेलीके अंदर उसे एक जगह एक बडा पत्थर दिखाई दिया. उसने कुछ क्षण उस पत्थरकी तरफ और उस पत्थरके इर्द गिर्द देखा और पुरी ताकदके साथ वह उस पत्थरको वहांसे हटानेमें जुट गया. जैसेही वह पत्थर वहांसे थोडा खिसक गया उसे पत्थरके पिछे कुछ खाली जगह दिखाई दी और उसका चेहरा खुशीसे दमकने लगा. उसका अंदाजा सही निकला था. वह पत्थर वहांसे पुरी तरह हटातेही उसे वहां अंदर जाता हूवा एक काला अंधेरेसे भरा संकरा रास्ता दिखाई दिया. उसने अपने पासके टॉर्चसे अंदर रोशनी डाली. अंदर एक गुढ और पुरानी गुफा दिखने लगी. अपने टॉर्चकी रोशनी डालते हूए वह अंदर उस गुंफामें जाने लगा. गुंफाके अंदर जातेही उसने अपने टॉर्चकी रोशनी इधर उधर घुमाई. उस गुंफामें उसे अलग अलग भौतिकशास्त्रके औजार और उपकरण इधर उधर फैले हूए दिखाई दिये. सारे उपकरण और औजारोंपर धुल जमी हूई थी. गुंफामें सब तरफ कागजके टूकडे और कोयलेसे निकाले हूए चित्र इधर उधर फैले हूए थे. गुफांमे एक कोनेमें रखी हूई उसे एक रेतकी घडी दिखई दी, जिसमें रेत बहुत धीमेसे अबभी बह रही थी. वहां रखे उपकरणोंपर जमें धुलसे साफ था की वे काफी दिनोसे इस्तेमाल नही किये गए थे और ना छुए गए थे. गिब्सन उस गुफामें रखी चिजोंको टालता हूवा सावधानीपुर्वक एक तरफसे दुसरी तरफ पहूंच गया. गिब्सन उस गुंफाकी एक दिवारपर टार्चके रोशनीमें गौरसे देखने लगा. उसे उस धुलसे मलिन दिवारपर अस्पष्टसा कुछ लिखा दिखाई दिया. धुलकी वजहसे क्या लिखा था यह पहचानमें नही आ रहा था. इसलिए गिब्सनने वहांकी धुल साफ की. दिवारपर कुछ अक्षर दिखने लगे, लिखा था, '' टाईम इज मनी..'. उसके सामनेभी कुछ अस्पष्टसा लिखा दिखाई दे रहा था इसलिए गिब्सनने दिवारपर आगे जमीभी धुल साफ कर दी. सामने लिखा था, ''... ऍन्ड स्पेस इज ऍन ऍसेट '' '' टाईम इज मनी ऍन्ड स्पेस इज ऍन ऍसेट'' गिब्सको पुरे वाक्यमें कुछ अर्थ छिपा दिखाई देने लगा. गिब्सन वह दिवारपर लिखा पढनेके बाद दुसरी तरफ मुडा. इतनेमें उसके सरपर कुछ गिर गया. घबराकर वह दो कदम पिछे हट गया. टॉर्चके रोशनीमें उसने देखा तो पुराने, कही कही फटे कागजोंका एक बडासा बंडल निचे जमिनपर गिरा था. वे पुराने कागज जिर्ण होकर पिले पिले हो गए थे. उसने वह बंडल उठाया और वह एक एक कागज पलटकर देखने लगा. उन कागजोपर कुछ गणिती सुत्र लिखे हूए थे तो कही कही कुछ चित्र निकाले हूए थे. गिब्सन अब वह कागजाद गौरसे पढने लगा. धीरे धीरे उसके चेहरेपर कुछ मिलनेकी खुशी झलकने लगी. जैसे जैसे वह आगे पढने लगा, उसका चेहरा औरही खिलने लगा. धीरे धीरे उसका चेहरा इतना जादा खुश दिखने लगा की वह पागल तो नही हूवा ऐसा किसीको संदेह हो. गिब्सन उस कुंएके एकदम किनारे खडा था. इतना नजदिक की उसे उस कुंएमें गिरनेकाभी डर नही लग रहा था. उसके हाथमें अबभी वह कागजाद थे. उसने और सामने जाकर एकबार कुंएमें झांककर देखा. दो कदम पिछे आकर वह फिरसे टॉर्चके रोशनीमें वह कागजाद उलट पुलटने लगा. उसके चेहरेपर फिरसे वह पागलोंसी मुस्कुराहट फैलने लगी. क्रमश:..

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