Tuesday, March 24, 2009

Hindi Book : Black Hole : CH-1: वह कुंवा

शामका समय. एक बडी, पुरानी हवेली. सुरज अभी अभी पश्चीम दिशामें अस्त हो चूका था और आकाशमें अभीभी उसके अस्त होनेके निशान दिख रहे थे. हवेलीके सामने थोडा खाली मैदान था. और उस खाली मैदानके आगे घने पेढ थे. हवा काफी जोरोसे बह रही थी और हवाके झोकोंके साथ वह आसपासके पेढ डोल रहे थे. हवेलीको एकदम सटकर एक संकरा कुंवा था. उस कुंवेके आसपासभी घास काफी उंचाईतक बढ गई थी. इससे ऐसा लग रहा था की वह कुंवा काफी सालसे किसीने इस्तेमाल नही किया होगा. उस हवेलीसे कुछ दुर नजर दौडानेपर पर्बतकी गोदमें एक छोटीसी बस्ती बंसी हूई दिखाई दे रही थी. उस बस्तीके लोग आम तौरपर इस हवेलीकी तरफ नही आते थे. उस बस्तीका एक निग्रो लडका फ्रॅंक, उम्र कुछ सात-आठ सालके आसपास, काला लेकिन दिखनेमें आकर्षक, अपने बछडेको लेकर घास खिलानेके लिए उस हवेलीके आसपासके खेतमें आया था. उस बछडेका भी उससे उतनाही लगाव दिख रहा था. फ्रॅंकने उसे छेडतेही वह सामने उछलते कुदते दौडता था और फ्रॅंक उसके पिछे पिछे उसे पकडनेके लिए दौडता था. ऐसे दौडते खेलते हूए वह बछडा उस हवेलीके परिसरमें घुस गया. फ्रॅंकभी उसके पिछे पिछे उस परिसरमें घुस गया. उस इलाकेमें घुसतेही फ्रॅंकके शरीरमें एक सिरहनसी दौड गई, क्योंकी इस हवेलीके परिसरमें कभी नही जानेकी उसे घरसे हिदायत थी. लेकिन उसका बछडा सामने उस इलाकेमें प्रवेश करनेसे उसे उसे वापस लानेके लिए जानाही पड रहा था. वह उस बछडेके पिछे दौडते हूए जोरसे चिल्लाया, '' गॅव्हीन ... रुक'' उसके घरके सब लोग उस बछडेको प्यारसे 'गॅव्हीन' पुकारते थे. लेकिन तबतक वह बछडा उस इलाकेमें घुसकर, सामने खाली मैदान लांघकर उस हवेलीसे सटकर जो कुंवा था उसकी तरफ दौडने लगा. '' गॅव्हीन उधर मत जावो ... '' फ्रॅंक फिरसे चिल्लाया. लेकिन वह बछडा उसका कुछभी सुननेके लिए तैयार नही था. वह दौडते हूए जाकर उस कुंवेसे सटकर जो पत्थरोका ढेर था उसपर चढ गया. अब फ्रॅंकको उस बछडेकी चिंता होने लगी थी. क्योंकी उसने बस्तीमे उस कुंवेके बारेमें तरह तरह की भयावह कहानीयां सुनी थी. उसने सुना था की उस कुंवेमें कोई भी प्राणी गिरनेके बाद अबतक कभी वापस नही आया था. और जो कोईभी उस प्राणीको निकालनेके लिए उस कुंवेमे उतरे थे वेभी कभी वापस नही आ पाए थे. इसलिएही शायद बस्तीके लोग उस कुंवेको 'ब्लॅक होल' कहते होंगे. फ्रॅंक अपने जगहही रुक गया. उसे लग रहा था की उसके पिछे दौडनेसे वह बछडा आगे आगे दौड रहा हो. और अगर वह ऐसाही आगे भागता रहा तो वह उस कूंवेमें जरुर गिर जाएगा. . फ्रॅंक भलेही रुक गया फिरभी वह पत्थरोंके ढेरपर चढ चूका बछडा निचे उतरनेके लिए तैयार नही था. उलटा वह ढेरपर चलते हूए उस ब्लॅकहोलके इर्दगिर्द चलने लगा. फ्रॅंकको क्या किया जाए कुछ समझमें नही आ रहा था. उसने वही रुके हूए आसपास अपनी नजरें दौडाई. उस हवेलीकी उंची उंची पुरानी दिवारें और आसपास फैले हूई घने पेढ. उसे डर लगने लगा था. अबतक उस हवेलीके बारेंमे और उस ब्लॅकहोलके बारेंमें उसने सिर्फ सुन रखा था. लेकिन आज पहली बार वह उस इलाकेमें आया था. लोगोंके कहे अनुसार सचमुछ वह सब भयावह था. बल्की लोगोंसे सुननेसेभी जादा भयावह लग रहा था. लेकिन वह अपने प्रिय बछडेको अकेला छोडकरभी नही जा सकता था. अब धीरे धीरे चलते हूए फ्रॅंक उस कुंवेके पास जाकर पहूंचा. फ्रॅंक उस कुंवेके एक छोरपर था तो वह बछडा दुसरे छोरपर अबभी उस पत्थरोंके ढेर पर चल रहा था. इतनेमे उसने देखा की उस पत्थारोके ढेर पर चलते हूए उस बछडेके पैरके निचेसे एक पत्थर फिसल गया और ढूलकते हूए कुंवेमें जा गिरा. '' गॅव्हीन... '' फ्रॅंक फिरसे चिल्लाया. इतना बडा पत्थर उस कुंवेमें गिरनेपरभी कुछभी आवाज नही हूवा था. फ्रॅंकने कुंवेके किनारे खडे होकर निचे झांककर देखा. निचे कुंवेमें कुछ दूरी तक कुंवेकी दिवार दिख रही थी. लेकिन उसके निचे ना दिवार, ना पाणी ना कुंवेका तल, सिर्फ काला काला, ना खतम होनेवाला खाली खाली अंधेरा. शायद यहभी एक कारण था की लोग उस कुंवेको 'ब्लॅकहोल' कहते होंगे. अचानक उसने देखा की फिरसे उस बछडेके पैरके निचेसे और एक पत्थर फिसल गया और ढूलकते हूए कुंवेमें जा गिरा. लेकिन यह क्या इस बार उस पत्थरके साथ वह बछडाभी कुंवेमें गिरने लगा. '' गॅव्हीन...'' फ्रॅंकके मुंहसे निकल गया. लेकिन तबतक वह पत्थर और वह बछडा दोनों कुंवेमे गिरकर उस भयावह काले काले अंधेरेमे गायब हो गए थे. ना गिरनेका आवाज ना उनके अस्तित्वका कोई निशान. फ्रॅंक डरसा गया. उसे क्या करे कुछ सुझ नही रहा था. वह कुंवेमें झुककर वह बछडा दिखाई देगा इस आशामें देख रहा था और जोर जोरसे चिल्लाकर रो रहा था , '' गॅव्हीन ... गॅव्हीन...''काफी देर तक फ्रॅंक वहा कुंवेके किनारेसे अंदर झांककर देखते हूवे रोता रहा. रोते रोते आखिर उसके आंसु सुख गए. अब उसे मालूम हो चूका था की उसका प्रिय गॅव्हीन अब कभीभी वापस नही आएगा. अब अंधेराभी होने लगा था और उस हवेलीका परिसर उसे अब जादाही भयानक लगने लगा था. अब वह वहांसे कुंवेके किनारेसे उठ गया और भारी कदमोंसे अपने घरकी तरफ वापस जानेने लिए निकला. फ्रॅंक हवेलीसे थोडीही दुरीपर पहूंचा होगा जब उसे पिछेसे किसी बात की आहट हो गई. एक डरभरी सिरहन उसके शरीरसे दौड गई. वह जल्दी जल्दी लंबे लंबे कदमसे, वहांसे जितना जल्दी हो सके उतना, बाहर निकलनेकी कोशीश करने लगा. इतनेमें उसे पिछेसे एक आवाज आ गया. वह एक पलके लिए रुक गया. यह तो अपने पहचानका आवाज लग रहा है ...बडी धैर्यके साथ उसने पिछे मुडकर देखा. और क्या आश्चर्य उसके पिछेसे उसका बछडा 'गॅव्हीन' 'हंबा' 'हंबा' करता हूवा उसे आवाज लगाता हूवा दौडते हूए उसकीही तरफ आ रहा था. उसका चेहरा खुशीसे खिल गया. '' गॅव्हीन... '' खुशीसे उसके मुंहसे निकल गया. लेकिन यह कैसे हूवा ?...यह कैसे हूवा इससे उसे कोई लेना देना नही था. उस पलके लिए उसका प्रिय बछडा उसे वापस मिला था इससे जादा उसे और किसी बातकी चिंता नही थी. उसने अपने हाथ फैलाकर अपने बछडेको अपनी बाहोंमे भर लिया और प्यारसे वह उसे चुमने लगा. क्रमश:...

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